चुतियाचौपाल के बालचूतिया चुच्चू के साथ गोस्वामी तुलसीदास की एक ख़ास बात-चीत
नरिमन प्वाइंट में
लहरों के थपेड़ों को खाने के बाद भी मुस्कुराते पत्थरों को देखते हुए गोस्वामी
तुलसीदास मन ही मन पता नहीं किसको गरिया रहे थे l उनके मासूम चेहरे को देखकर एक मासूम भी बता सकता था कि यह
भयंकर भूख और प्यास से तड़प रहे हैं l अचानक चुच्चू को वे दिख जाते हैं, चुच्चू
उन्हें खाने के लिए बड़ा-पाव और पीने के लिए कोक देते हैं l पहले तो वह इन दोनों चीज़ों को बड़ी ही हिकारत भरी नज़रों से
देखते हैं, लेकिन चाँप कर भूख लगी होने के कारण दोनों ही चीज़ों को एक सांस में ढूँस
जाते हैं l अचानक चुच्चू से बोलते हैं कि ब्राह्मण का पाव से क्या हो़गा सेर तक तो लाओ, साथ
ही कोक पर कुदृष्टि डालते हुए बोलते हैं, इस पेय पदार्थ को कदापि न लाना, पेट भरा
नहीं ससुर डकार लेने पे मज़बूर कर रहा है l चुच्चू जाकर दस बड़ा-पाव और एक लीटर छाछ लाते
हैं l खाने के बाद उनके चेहरे की रौनक देखते बनती है, इसके बाद जब
चुच्चू उनसे उनकी इस हालात के बारे में पूछते हैं, तो बातें इस तरह सामने आने लगती
हैं...
चुच्चू – यह हालत
बनाकर आप यहाँ सन्नाटे में क्या कर रहे हैं ?
तुलसीदास – कल बाल्मीकि
जी मिल गए बोले, तुलसीदास जी सुना है कि कोई भी मुँह उठा कर रामायण बना दे रहा है
और पेल के माल गटक रहा है l इसीलिए हमलोगों ने रामायण और रामचरितमानस की
रचना की थी? आप जाइए और समझ के आइए क्या मामला है, नहीं तो हमारा मूड विचलित हो गया तो वही रास्ता अपना लेंगे जो रामायण की रचना
करने से पहले अपनाए थे और सारे चैनल वालों और प्रोड्यूसरों को यहीं लाकर पेड़ से बाँधकर खाना बनवाएँगे... हमको लगा बाल्मीकि जी किसी तरह सुधरे हैं तो सुधरे
ही रहें, सो यहाँ आ गये l मामा मरीच का प्रकोप आज भी इस नगरी में बरकरार
है जो जैसा दिखता है वैसा है नहीं l जहां जाते वहीं लोग भगा देते हैं, बोलते चलिए
अभी छुट्टा नहीं है... ज्यादातर जगहों पर तो रक्षकों ने ही नहीं घुसने दिया...
चिंता इस बात की है कि हम बाल्मीकि जी को क्या जवाब देंगे? सुना है कि रामायण और
रामचरितमानस पर आधारित दो-चार प्रोजेक्ट और तैयार हो रहे हैं...
चुच्चू – तो आप
क्या मुँह लेकर यहाँ आये थे?
तुलसीदास – कुछ रॉयल्टी
वग़ैरह मिल जाती तो...
चुच्चू – अभी नाम
मिल रहा है, उसी से संतोष कीजिए... नहीं तो वह भी नहीं मिलेगा कोई अपना नाम चापने
पाया तो चिचियाते फिरेंगे l आपने तो राइटर्स एसोसिएशन में भी रजिस्टर्ड नहीं
करवाया है, नहीं तो वही लोग कुछ ले-देकर आपको भी दिलवा कर मामला रफा-दफा करा देते l बड़े आये पैसा लेने वाले, यहाँ तो जिसकी मूल रचना है उसे ही नाम नहीं मिलता,
पैसे तो दूर की बात हैं... वे तो दो राइटर्स थे जो रात में जाकर चिपके हुए
पोस्टरों पे अपना नाम लिखकर आ जाते थे, तो राइटरों को नाम मिलने लगा l नहीं तो यहाँ राइटर मतलब घंटा, और हाँ अगर आप राइटर होने के बाद भी दबंग नहीं
है तो बाद में घंटा ही बजाना पड़ता है...
तुलसीदास – घोर कलयुग
आ गया बेटा...
चुच्चू – आज-कल ज़्यातर
लोग यही बोल कर अपने दिल को दिलासा देते फिर रहे हैं बाक़ी कुछ उखाड़ तो सकते
नहीं... वैसे कलयुग को लाये भी तो आप ही हैं...
तुलसीदास – (सोच
में डूबकर) सो तो है...
चुच्चू – चलिए
दुनियादारी से ऊपर उठकर कुछ रूमानियत की बातें करते हैं, सुना है आप अपनी वाइफ़ के
प्यार में इतना पागल हो गये थे कि मुर्दे के सहारे नदी पार करके सांप के सहारे छत
पर चढ़ गये थे ?
तुलसीदास – हो
बंटानी और बात हँउक के करते हो l तो इसमें कौन सा आश्चर्य हो गया? अरे अपनी धर्मपत्नी के चक्कर में गये थे दूसरे
के चक्कर में तो गये नहीं थे l आज-कल लोग दूसरे की औरत
के चक्कर में संडास वाली पाइप पकड़ कर चढ़ जा रहे हैं, तब कोई कुछ नहीं कहता और हमें
लोग बदनाम करते फिर रहे हैं l झूठ-मूठ तो एक चरित्रहीन पति भी अपनी पत्नी से बड़ी-बड़ी प्यार की बातें करता है
कि हम तुम्हें बेइंतहा मोहब्बत करते हैं, फला तारा तोड़ लाएँगे, फला चीज़ उखाड़
लाएँगे... हमने हक़ीक़त में करके दिखा दिया तो तुलसीदास हो गये l कृष्ण करें तो रासलीला हम करें तो कैरेक्टर ढीला... अगर सच्चाई जानना चाहते हो
तो जान लो उन्होंने मतलब रत्न्नावली ने ही कहा था कि अगर आप हमसे बेइंतहा मोहब्बत करते
हैं तो एक दिन हमारे घर पर आकर दिखाइए l हमने दिखा दिया...
चुच्चू – जब रत्ना
आंटी ने ही आपको बुलाया था तो आपको इतना डाँटा-फटकारा क्यों ?
तुलसीदास – वही तो
हम आज तक नहीं समझ पाये बेटा... जब रत्ना ने ही हमको बुलाया तो उसके बाद अपनी अम्मा
को क्यों बुलाया? न वह आपनी अम्मा को बुलातीं न ऊ चिल्ला कर औरों को बुलातीं और न
यह बात जगजाहिर होती और न ही हमारा अपमान होता... इसी अपमान को सम्मान में बदलने
के लिए हमने रामचरितमानस की रचना कर डाली.
चुच्चू – आज भी
आप रत्ना आंटी से उतना ही प्यार करते हैं?
तुलसीदास – और
क्या, हमारे लिए तो “फर्स्ट लब इज लास्ट लब” है...
चुच्चू – लब नहीं
लव... मानस में भी खूब ’श’ को ’स’ और ’व’ को ’ब’ किये हैं...
तुलसीदास – जादा
ग्यान ना बाँटों l हामारी भावनाओं को समझो, नहीं तो सारा गुस्सा
अबहीं हम तुम्हारे ऊपर ही उड़ेल देंगे...
चुच्चू – आप
गुस्सैल तो थे नहीं फिर...
तुलसीदास – आज से
ही शुरू कर दिये...
चुच्चू – आज-कल
आपके राम को लेकर पता नहीं क्या-क्या होता रहता है... जब-जब चुनाव आता है तो राम-नाम
होने लगता है... एक बोलता है कि राम मंदिर वहीं बनाएँगे, दूसरा बोलता है कि अगर दम
हो तो बना कर दिखाओ इसी बनाने और न बनाने के बीच क्या-क्या बवाल हो चुका है आपको
मालूम है... ?
तुलसीदास – क्या
बात कर रहे हो ! हमारे वाले राम के लिए यह बवाल हुआ और फिर मुद्दा बनाये घूम रहे
हैं? आश्चर्य!!! हमारे राम तो मर्यादा पुरुषोत्तम हैं उनके लिए तो दिल में मंदिर
बनाने की ज़रूरत है, उनके कर्मों पे चलने की ज़रूरत है... राम राम, ई देश और संसार
कउने नरक की ओर जा रहा है... हमारे ही तरह इन्हें भी सदबुद्धि तो प्रभु...
चुच्चू – चूतियाचौपाल
के रिवाज़ानुसार दो चुतियाफुल सवाल.. अपनी लाइफ के दो ग्रेट चूतियापों के बारे में
बताइए, जो आपने किये हैं ?
तुलसीदास – पहला यह
कि मैंने औरतों को समझने की कोशिश की... दूसरा रामचरितमानस की रचना करके...
चुच्चू – हा!!!!!!!!!!!
हाय!!!!!!!!! यह क्या कह रहे हैं...? यह तो आपका क्रिएटिव वर्क है...
तुलसीदास - yeah, this is my creatibe job… किन्तु मैंने ’रामचरितमानस’ की रचना इसलिए नहीं की थी
कि कुछ निकम्मे बड़े आलोचक बन जाएँ... lazy people, लाख अच्छा लिखो उसका कुछ नहीं, एक बुरा लिख दो तो उसका कबाड़ा करके अपना सीना फुला कर आलोचक बने फिरते हैं... और दूसरा इसलिए
नहीं कि, लोग ग्रुप बनाकर इसका पाठ करें और भक्तों से पैसा वसूलें...
चुच्चू – तो किस लिए किए थे..?
तुलसीदास – (गुस्से से) वह भी हमको ही बताना पड़ेगा ? लाओ हमारी रामचरितमानस हमें
लौटा दो...
(कृपया आप सभी पाठकों को सूचित किया जाता है कि यह साक्षात्कार केवल स्वप्न पर
आधारित है... इसका किसी भी जीवित व मृत व्यक्ति से कोई सम्बंध नहीं, अगर सम्बंध
स्थापित होता है तो यह मात्र संयोग होगा l चूतियाचौपाल के महान
बालचूतिया चुच्चू को स्वप्न में कोई भी दिख सकता है और वह उनका interview ले सकते हैं यह हम नहीं कहते यह उनका दावा है l आज ही पता चला है कि कल रात उनकी मुलाक़ात टेलीवीज़न और
फ़िल्म की महान दिग्गज कलाकार राखी सावंत से हुई है l वह भी काफ़ी भड़की हुई हैं... किस बात पर भड़की हैं यह
अगले अंक में जानेंगे l हम आप लोगों को एक बात साफ़ बता देना चाहते हैं कि भड़काऊ
और भड़कने में फ़र्क होता है, वह यह कि आप उसे लेते किस way में हैं) जय चूतियाचौपाल...
1 टिप्पणियाँ
bahut khoob
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