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ऐसा रचनाकार जिसे दुनिया ने मरने के बाद जाना

ऐसा रचनाकार जिसे दुनिया ने मरने के बाद जाना 


कभी-कभी इंसान को जीते जी सफलता नहीं मिलती. लेकिन मरने के बाद ऐसी  मिलती है कि दुनिया दंग रह जाती है। ऐसे लोगों में से एक थे फ्रांज़ काफ्का। काफ्का का जन्म ३ जुलाई १८८३ में प्राग, बोहेमिया में हुआ था। प्राग आज चेक गणराज्य की राजधानी है। काफ्का एक यहूदी परिवार से ताल्लुक रखते थे। काफ्का के पिता हरमन एक दबंग, स्वार्थी व्यापारी थे और उनकी माता जूली भी उनके पिता के काम में हाथ बटाती थीं। लेकिन इन सब के उलट काफ्का अपने माता-पिता से बिलकुल भिन्न थे। वह सच्चे अर्थों में एक सच्चे रचना कार थे। और एक रचनाकार को समझना व्यवसाइयों के परे था। और यही कारण था कि उनके माता-पिता काफ्का को समझ नहीं पाए। वे चाहते थे, उनका बेटा काम में लग जाए, पैसा कमाए और घर बसाये, जो ज़्यदातर माध्यम वर्गीय परिवारों की सोच होती है। बताते हैं की काफ्का के कई प्रेम सम्बन्ध थे लेकिन फिर भी उनकी शादी नहीं हुई थी। उनकी आखिरी प्रेमिका का नाम डोरा था।
    जब फ्रांज़ काफ्का का जन्म हुआ, उस वक़्त आधुनिक विचार पनपने शुरू हुए थे।लेकिन काफ्का ने जो लिखा आज भी प्रासंगिक हैं। आज भी उनके विचारों को मान कर आधुनिकता की तरफ बढ़ा जा सकता है।
काफ्का को मरने के बाद प्रसिद्धि मिली और इतनी मिली की Kafkaesque (कॉफ़्किस्क) अंग्रेजी भाषा के शब्दों में शामिल कर लिया गया। जिसका मतलब 'बहकानेवाला', 'खतरनाक जटिलता' जैसे सम्बंधित शब्दों  से लगाया जाता है। 

हलाकि उनकी रचनायें और वक्तव्य ऐसे हैं कि सच में पढ़ने वाले के अंदर क्रांतिकारी भावना भर दें  जीते जी उनकी एक-दो ही रचनायें  प्रकाशित हो पाई थीं। लेकिन उनसे काफ्का को  ज़्यादा ख्याति नहीं मिली,  शायद यही कारण है, बाद में वो अपनी रचनाओं को लेकर थोड़ा निराश से हो गए थे। 
उम्र के ४०वें वर्ष में वह टीबी (तपेदिक) की चपेट में आ गए और उसी वर्ष उनकी मृत्यु भी हो गयी थी। कुछ रचनाओं को तो उन्होंने खुद ही अपने जीते जी जला डाला था।कुछ रचनायें उन्होंने अपने दोस्त मैक्स ब्रॉड को इस वादे के साथ दिया था कि  उनके मरने के बाद उन सभी रचनाओं को जला देना। और हाँ, कुछ रचनायें उनकी  आखिरी प्रेमिका डोरा के पास भी थीं, उस-से भी फ्रांज़ काफ्का ने वचन लिया था कि वो उसे जला देगी. 
लेकिन काफ्का के मरने के बाद उनकी रचनाओं को जब उन लोगों ने पढ़ना शुरू किया तो दंग रह गए।और उन लोगों से उसे प्रकाशित करवाना शुरू कर दिया। 

उनकी प्रमुख रचनाओं में - द मेटामोर्फोसिस, द ट्रायल, द जजमेंट, द कैस्तल, कांटेम्पलेसन, अ हंगर आर्टिस्ट, लेटर्स टू फेलिस आदि हैं ।  
उनकी रचनाओं की मूल भाषा जर्मन है, लेकिन आज आपको उनकी रचनायें विश्व की ज़्यादातर भाषाओँ में पढ़ने को मिल जाएँगी।
 उनकी रचनाओं को आप समय निकाल कर ज़रूर पढियेगा लेकिन अभी आइये पढ़ते हैं उनके कुछ कोट्स जो आपको बहुत कुछ सोचने और करने के लिए प्रोत्साहित करने लगेंगे-

- एक बेवकूफ एक बेवकूफ है। दो बेवकूफ दो बेवकूफ हैं लेकिन दस हजार बेवकूफ एक राजनीतिक पार्टी है 
 
- एक पुस्तक हमारे भीतर जमे हुए समुद्र के लिए कुल्हाड़ी होनी चाहिए

- एक पिंजरा एक चिड़िया की तलाश निकला है 

- जो भी व्यक्ति सुंदरता को देखने की क्षमता रखता है वह कभी बूढ़ा नहीं होता है। 

- मैं स्वतंत्र हूँ और इसीलिए मैं हारा हूं।

- सभी भाषाएं बस कुछ नहीं खराब अनुवाद है

- लेखन प्रार्थना का एक रूप है

- अपने सबसे बड़े जूनून को पूरा करने में पूरी निर्दयता बरतो 

- रास्ते चलने से बनते हैं

- मेरे पास खुद की सच्ची भावना तब होती है, जब मैं असहनीय रूप से दुखी होता हूँ

- वह मरने से बहुत डरता है क्योंकि अभी तक उसने ज़िंदगी को जिया ही नहीं 

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