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खलनायक नहीं, नायक हैं ये !


फिल्मों में अक्सर देखने को मिलता है, जब समाज में कोई संकट आता है तो एक हीरो आता है और वह लोगों को उस संकट से निकालता है, उनके साथ खड़ा होता है और उनके दुःख को अपना दुःख समझता है. लेकिन हकीकत की दुनिया में यह बिलकुल अलग तरीके से ही सामने आया. आज जब देश कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है, और लोग जिन हीरोस से उम्मीद लगाए बैठे थे कि वे आएंगे और उनकी मदद करेंगे, यहां उल्टा हो जाता है। जिन्हे विलेन के रूप में देखते रहे, वह हीरो बनकर सामने आये. आप ने इन दोनों को बहुत सारी फिल्मों खलनायक के रूप में देखा होगा, लेकिन असल ज़िन्दगी में ये दोनों हीरो निकले.


जी हाँ, हम बात कर रहे हैं, प्रकाश राज और सोनू सूद की. जो अचानक कुछ लोगों के लिए मसीहा बन कर सामने आये.  जहां एक ओर प्रकाश राज भूखों और गरीबों को खाना खिला रहे हैं, ज़रूरतमंदों तक राशन पहुंचा रहे हैं, वही दूसरी तरफ सोनू सूद लोगों को घर पंहुचाने का काम कर रहे हैं. 
बता दें, कि लॉकडाउन के बाद मज़दूरों और कामगारों का अचानक पलायन शुरू हो गया था, इस कदर लोग सड़कों पर आ गए थे कि केंद्र और राज्य सरकारें फ़ैल हो गयी थीं. सोनू सूद ने सोशल मीडिया और विभिन्न प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से लोगों तक यह बात पहुंचाई की जिसको अपने घर जाना है, अपना नंबर और पता भेजें.

सोनू सूद ने जिस तरह लोगों के लिए बसों का इंतजाम किया और जिस सहूलियत से लोगों को उनके घरों तक पहुंचाया वो अपने आप में मायने रखता है और बिना प्रीप्लान के इतना अच्छा मैनेजमेंट काबिलेतारीफ है. अभी भी लोगों को उनके घरों को भेजने का यह सिलसिला जारी है. सोनू सूद ने रातोंरात लोगों के दिलों में अपनी जगह बना ली. कहा तो यहां तक जा रहा है कि, उनके ऊपर फिल्म बनाने की तैयारी चल रही है और यह भी खबर आ रही है कि बिहार में सोनू सूद  का मंदिर भी बनने वाला है.  


वहीं, प्रकाश राज लोगों की भरपूर मदद कर रहे हैं. और इस मदद में उन्होंने अपनी ज़िन्दगी भर की कमाई लगा दी. उन्होंने एक बात कही जो किसी को भी भावुक कर सकती है :  "मेरी वित्तीय स्थिति बिगड़ने लगी है लेकिन मैं लोन लेकर भी गरीबों की मदद करूंगा."

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