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अत्यंत सैड

आजकल हमारे सामाज में गर्व की मात्रा इतनी बढ़ चुकी है कि हर किसी को अपने आप पर किसी न किसी चीज़ पर गर्व है...


डॉक्टर बिश्वरूप रॉय चौधरी ने मार्च में ही कह दिया था, कोरोना से इतना डरने की ज़रुरत नहीं है... इससे सतर्क रहने की ज़रूरत है... अगर कोरोना की दवा नहीं है तो जुकाम जैसे फ़्लु की कौन सी दवा है? उन्होंने इससे निजात पाने के बहुत ही साधारण उपाय भी बताये थे... अगर उस समय उनका वीडियो किसी को भेज दो तो लोग गुस्से में आ जाते थे... बोलते थे, कोरोना से बिलकुल मज़ाक नहीं... इम्यून सिस्टम किस मेडिकल स्टोर पे मिलता है पूछने वाला भी कोरोना के डर को ऐसे बताता था जैसे अभी-अभी कोरोना पर पीएचडी करके मॉस्को से लौटा हो.


जब बहुत से लोग लॉकडाउन के दौरान घरों में डिप्रेस्सेड पड़े थे तो सारे मोटिवेशनल स्पीकर गायब थे... अब उन्ही बिश्वरूप रॉय चौधरी की बातों को तोड़-मरोड़ के अपना बनाकर लोगों को कोरोना से न डरने की नसीहत दे रहे हैं... अरे पहले ही बताते तो कुछ फायदा भी होता। बहुत लोग बुरी तरह से ज़िन्दगी काटने से बच जाते... पुलिस की बुरी मार से बच जाते... गाँवों में लोग भावनात्मक दूरी की जगह भौगोलिक दूरी बनाकर बाहर से अपने ही गावों में लौटे लोगों से प्यार से पेश आते... जब बबलू ने बता दिया कि मास्क पहन कर काम पर चलो... जो सब बताने लगे... कोई बात नहीं, देर आये तंदुरुस्त आये...

हमें इस बात की बिलकुल शर्म नहीं कि हम इतने गंदे तरीके से रहते हैं कि मलेरिआ आज भी हमारे बीच बना हुआ है बल्कि हमें तो इस बात का घमंड सॉरी गर्व है कि हमारे पास हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन है... जिसे ट्रम्प साहब ने अपने डॉक्टरों को रेकमेंड किया था... भगवान् उन आत्माओं को शांति दे, जो हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन जैसी दवाओं के एक्सपेरिमेंट के शिकार हुए... वैसे काफी मात्रा में तय हो चुका है कि इस बार ट्रम्प जी राष्ट्रपति वाली कुर्सी से जाने वाले हैं...


सामाज में गर्व की मात्रा इतनी ज़्यादा हो चुकी है कि दूसरों में गर्व भरने की ज़बरन कोशिश की जा रही है... अगर सामने वाला गर्व नहीं भरवाता तो उसे देशद्रोही, समाज पर बोझ, अधार्मिक होने का सर्टिफिकेट पकड़ा दिया जाता है... और हाँ अब तो गाली देने का प्रचलन शुरू हो चुका है... खैर कोई नहीं, यही गर्व विनाश का कारण बनेगा...


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