आज भी सुभाष चंद्र बोस का जोश हिंदुस्तान की रगों में दौड़ता है। सुभाष चंद्र बोस को नेता जी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदुस्तान में हर शख्स इस नाम से वाक़िफ़ है। 23 जनवरी 1897 को जन्मे नेताजी का जीवन किस्सों और रहस्यों से भरा पड़ा है।
उनसे जुड़ा एक किस्सा है, जब अंग्रेज़ों ने उनकी संदिग्ध गतिविधियों को देखते हुए उन्हें उन्ही के कोलकाता स्थित घर में नज़रबंद कर दिया था। यह सन १९४१ की बात है। उन पर नज़र रखने के लिए कड़ी चौकसी बिठा दी गई थी। उसके बाद भी वह अंग्रेज़ों को चकमा देकर भाग निकले थे। वह एक गाड़ी से भागे थे। उस गाडी को शुरुआत में तो ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने कब्ज़े में रख लिया था । बाद में उस गाडी को उनके चाचा अशोक बोस को सौप दिया गया था। इस छोटे से किस्से में यही बताना था कि नेता को भागने में एक गाडी की मदद मिली थी।
आज भी गाड़ी उनके पैतृक निवास में रखी है । उनके पैतृक निवास को नेताजी रिसर्च ब्यूरो (एनआरबी) का नाम दिया गया है। बताते हैं कि यह उनकी पसंदीदा गाड़ी थी। नेता जी गाड़ी का उपयोग कहीं जाने और घूमने में किया करते थे। कई वर्षों तक गाड़ी को जस का तस रखने की वजह से उसकी हालात बिगड़ गयी थी। कार की मरम्मत और नवीनीकरण का जिम्मा जर्मनी की मशहूर कंपनी ऑडी ने लिया। क्योंकि वह कार ऑडी कंपनी की ही थी। १९३७ मॉडल की ऑडी रेंडरर डब्ल्यू २४ (Audi wanderer W24) है। कंपनी ने गाड़ी को एक नया अवतार दिया। रेस्टॉरेशन के बाद २०१७ में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उसका अनावरण किया था। सुभाष चंद्र बोस की ज़िन्दगी से जुड़े सभी सामान और दस्तावेज़ नेताजी रिसर्च ब्यूरो में रखे गए हैं।
नेताजी की ज़िंदगी संघर्षों और रहस्यों की गट्ठर थी। उनकी मौत तो आज भी पूरे विश्व के लिए रहस्मयी बनी हुई है।
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