सफाचट्ट देश का महान राजा
सफाचट्ट राज्य में एक राजा रहता था। जब उसके बकलोली के किस्से बहुत तेजी से फैलने लगते थे तब वह ज्ञान देना शुरू कर देता था। किसी भी चीज़ पर ज्ञान देने लगता था, आधी रात को देने लगता था, थोक के भाव देने लगता था। जिस पर चर्चा करनी चाहिए, उस पर न करके किसी पर भी चर्चा शुरू कर देता था। फिर उसके चाटक गण उस चर्चा पर चाट-चाट कर अपने हिसाब से चर्चा करते थे। और वे चाटक चर्चा कर इतना चाट लेते थे कि प्रजा का दिमाग सफाचट्ट हो जाता था। इस प्रकार राजा फिर से प्रजा के सफाचट्ट दिमाग में मनमाने तरीक़े से अपनी चीज़ों को ठूंसने लगता था...
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